राहु और केतु की उत्पत्ति और पौराणिक कथाएँभारतीय ज्योतिष में राहु और केतु का विशेष स्थान है। इन दोनों ग्रहों को छाया ग्रह कहा जाता है, यानी इनका भौतिक रूप…
मंगल दोष की मूलभूत जानकारीभारतीय ज्योतिष शास्त्र में मंगल दोष का विशेष महत्व है। यह दोष तब बनता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह विशेष स्थानों पर…
मंगल दोष की परिभाषा और उत्पत्तिभारतीय ज्योतिष शास्त्र में मंगल दोष एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, जिसे हिंदी में मंगलीक दोष भी कहा जाता है। आम भाषा में कहा जाए…
1. शनि की महादशा का परिचयभारतीय ज्योतिष में शनि की महादशा एक महत्वपूर्ण कालखंड मानी जाती है। शनि ग्रह को न्याय के देवता या कर्मफल दाता कहा जाता है, जो…
1. शनि की दशा का ज्योतिषीय अर्थभारतीय वैदिक ज्योतिष में शनि की दशा का स्थानभारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि ग्रह को न्याय का देवता माना जाता है। यह व्यक्ति…
1. शनि ग्रह की ज्योतिषीय भूमिकाशनि ग्रह का वैदिक ज्योतिष में महत्वभारत में शनि ग्रह को न्याय का देवता माना जाता है और इसका संबंध कर्म, अनुशासन, धैर्य, परीक्षा और…
1. वैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह का महत्वचंद्र ग्रह की भारतीय वैदिक परंपरा में भूमिकावैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह को मन और भावनाओं का प्रतिनिधि माना जाता है। भारतीय संस्कृति…
1. चंद्र ग्रह और इसकी ज्योतिषीय महत्ताभारतीय ज्योतिष में चंद्र ग्रह की भूमिकाभारतीय ज्योतिष में चंद्र ग्रह (Moon) को मन और भावनाओं का स्वामी माना जाता है। यह व्यक्ति के…
वैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह का परिचयवैदिक ज्योतिष में चंद्र ग्रह का विशेष स्थान है। भारतीय संस्कृति और परंपरा में चंद्रमा को मन, भावनाओं और मानसिक स्थिति का प्रतिनिधि माना…