जीवन के चार पुरुषार्थ, कर्म और वापसी का संबन्ध

जीवन के चार पुरुषार्थ, कर्म और वापसी का संबन्ध

1. पुरुषार्थ की अवधारणा और सांस्कृतिक प्रासंगिकताभारतीय जीवन दर्शन में पुरुषार्थ का महत्वभारतीय संस्कृति में पुरुषार्थ शब्द का अर्थ है – मानव जीवन के वे चार मुख्य उद्देश्य, जिनके द्वारा…
सम्बंध और पुनर्जन्म: लग्न और सप्तम भाव में संकेत

सम्बंध और पुनर्जन्म: लग्न और सप्तम भाव में संकेत

1. सम्बंध और पुनर्जन्म का वैदिक दृष्टिकोणइस अनुभाग में हम वैदिक ज्योतिष और हिंदू संस्कृति में संबंध और पुनर्जन्म की धारणा को विस्तार से समझाएंगे, और उनका भारतीय पारंपरिक मूल्यों…
आधुनिक मनोविज्ञान और भारतीय कर्म सिद्धांत का समन्वय

आधुनिक मनोविज्ञान और भारतीय कर्म सिद्धांत का समन्वय

1. आधुनिक मनोविज्ञान की प्रमुख अवधारणाएँआधुनिक मनोविज्ञान, जिसे हिंदी में आधुनिक मनोविज्ञान कहा जाता है, हमारे विचार, भावना और व्यवहार को समझने का एक विज्ञान है। भारतीय समाज में, जहाँ…
कर्मों का फल और पारिवारिक जीवन: कुंडली की दृष्टि

कर्मों का फल और पारिवारिक जीवन: कुंडली की दृष्टि

1. कर्म, धर्म और कुण्डली: भारतीय जीवन का आधारभारतीय संस्कृति में कर्म (कार्य) और धर्म (कर्तव्य या जीवन के नियम) का बहुत गहरा महत्व है। हमारे पूर्वजों ने हमेशा यही…
राहु-केतु ग्रहों की उत्पत्ति और पुनर्जन्म की कहानी

राहु-केतु ग्रहों की उत्पत्ति और पुनर्जन्म की कहानी

1. राहु-केतु की पौराणिक कथा का परिचयभारतीय ज्योतिष और संस्कृति में राहु और केतु दो ऐसे ग्रह हैं, जिनकी उत्पत्ति और पुनर्जन्म की कहानी अत्यंत रहस्यमय और रोमांचक है। ये…
भारत की ज्योतिषी परंपरा में राहु-केतु और कर्म का संबंध

भारत की ज्योतिषी परंपरा में राहु-केतु और कर्म का संबंध

राहु और केतु : भारतीय ज्योतिष में उनका महत्वराहु और केतु का खगोलीय स्वरूपभारतीय ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को छाया ग्रह कहा जाता है। ये दोनों ग्रह वास्तव…
राहु-केतु के दैवीय प्रभाव और पुनर्जन्म का रहस्य

राहु-केतु के दैवीय प्रभाव और पुनर्जन्म का रहस्य

1. राहु-केतु का हिन्दू ज्योतिष में महत्त्वभारतीय ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में राहु और केतु की भूमिकाभारतीय संस्कृति में राहु और केतु को रहस्यमय ग्रह माने जाते हैं। ये दोनों…
कर्म और पुनर्जन्म के ऐतिहासिक सिद्धांत: वेदों से आधुनिकता तक

कर्म और पुनर्जन्म के ऐतिहासिक सिद्धांत: वेदों से आधुनिकता तक

1. कर्म और पुनर्जन्म की अवधारणा: परिभाषा और सांस्कृतिक पृष्ठभूमिकर्म क्या है?भारतीय संस्कृति में कर्म शब्द का अर्थ कार्य, क्रिया या एक्शन से है। वेदों और उपनिषदों में कर्म को…
पुनर्जन्म का तात्पर्य: भारतीय दर्शन में पुनर्जन्म की व्याख्या

पुनर्जन्म का तात्पर्य: भारतीय दर्शन में पुनर्जन्म की व्याख्या

1. पुनर्जन्म का परिचय और भारतीय सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्यपुनर्जन्म क्या है?पुनर्जन्म, जिसे हिंदी में "फिर से जन्म लेना" कहा जाता है, भारतीय दर्शन और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह…
कर्म सिद्धांत: हिंदू धर्म में मूल भूत अवधारणा व उसका विकास

कर्म सिद्धांत: हिंदू धर्म में मूल भूत अवधारणा व उसका विकास

1. कर्म सिद्धांत का वैदिक एवं उपनिषदिक आधारवैदिक काल में कर्म की अवधारणाभारतीय संस्कृति में कर्म का सिद्धांत अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वैदिक काल में, कर्म शब्द मुख्यतः यज्ञ,…