कर्म और ग्रहों के उपाय: पौराणिक अनुष्ठान, रत्न और मंत्रजाप

कर्म और ग्रहों के उपाय: पौराणिक अनुष्ठान, रत्न और मंत्रजाप

1. कर्म और ग्रहों का परिचयभारतीय संस्कृति और हिंदू ज्योतिष में कर्म (कृत्य) और ग्रह (नौ ग्रह) का विशेष स्थान है। कर्म, अर्थात् हमारे कार्य, विचार और व्यवहार, हमारे जीवन…
कर्म और पुनर्जन्म की मान्यता: बौद्ध, जैन और सिख परंपरा में अंतर

कर्म और पुनर्जन्म की मान्यता: बौद्ध, जैन और सिख परंपरा में अंतर

1. परिचय: कर्म और पुनर्जन्म की संकल्पना का भारतीय संदर्भभारतीय समाज में कर्म (कर्मा) और पुनर्जन्म (पुनर्जन्म) की मान्यता बहुत गहरी है। यह विचारधारा न केवल धार्मिक जीवन का हिस्सा…
कर्मफल के सिद्धांत में पंचमहाभूतों की भूमिका

कर्मफल के सिद्धांत में पंचमहाभूतों की भूमिका

1. कर्मफल क्या है?भारतीय दर्शन में "कर्मफल" का सिद्धांत एक अत्यंत महत्वपूर्ण विचारधारा है। सरल शब्दों में, कर्मफल का अर्थ है—हमारे किए गए कार्यों (कर्म) का फल (परिणाम)। यह विचार…
जीवन के चार पुरुषार्थ, कर्म और वापसी का संबन्ध

जीवन के चार पुरुषार्थ, कर्म और वापसी का संबन्ध

1. पुरुषार्थ की अवधारणा और सांस्कृतिक प्रासंगिकताभारतीय जीवन दर्शन में पुरुषार्थ का महत्वभारतीय संस्कृति में पुरुषार्थ शब्द का अर्थ है – मानव जीवन के वे चार मुख्य उद्देश्य, जिनके द्वारा…
ग्रहों का कर्मफल पर प्रभाव: ज्योतिषीय दृष्टिकोण

ग्रहों का कर्मफल पर प्रभाव: ज्योतिषीय दृष्टिकोण

1. ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की भूमिकाभारतीय संस्कृति में ज्योतिष शास्त्र का विशेष स्थान है। यहाँ यह माना जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर नवग्रहों यानी सूर्य, चंद्र,…
कर्मफल का विस्तृत अर्थ: हिन्दू धर्म में उसके प्रकार और वर्गीकरण

कर्मफल का विस्तृत अर्थ: हिन्दू धर्म में उसके प्रकार और वर्गीकरण

1. कर्मफल का हिन्दू धर्म में महत्वकर्मफल की अवधारणा क्या है?कर्मफल, दो शब्दों से मिलकर बना है — कर्म यानी कार्य या एक्शन, और फल यानी परिणाम या नतीजा। हिन्दू…
कर्म और पुनर्जन्म: भारतीय संस्कृति में उनकी ऐतिहासिक जड़ें

कर्म और पुनर्जन्म: भारतीय संस्कृति में उनकी ऐतिहासिक जड़ें

1. कर्म का वैदिक और उपनिषदिक उद्भवकर्म की उत्पत्ति: वैदिक काल मेंभारतीय संस्कृति में "कर्म" (कर्मा) एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसकी जड़ें बहुत प्राचीन ग्रंथों, जैसे कि वेदों और उपनिषदों…