चतुर्थ भाव: परिवार, मातृत्व और भावनात्मक सुरक्षा का केंद्र

चतुर्थ भाव: परिवार, मातृत्व और भावनात्मक सुरक्षा का केंद्र

1. चतुर्थ भाव का तात्त्विक महत्वभारतीय ज्योतिष शास्त्र में चतुर्थ भाव को बहुत ही विशेष स्थान प्राप्त है। यह भाव हमारे जीवन के मूल आधार—परिवार, मातृत्व और भावनात्मक सुरक्षा—का केंद्र…
अशुभ राहु-केतु: निवारण के लिए भारतीय संस्कृति में प्रचलित त्यौहार और व्रत

अशुभ राहु-केतु: निवारण के लिए भारतीय संस्कृति में प्रचलित त्यौहार और व्रत

1. राहु-केतु के अशुभ प्रभाव: भारतीय संस्कृति में उनका महत्त्वभारतीय ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु दो छाया ग्रह माने जाते हैं, जिनका मानव जीवन पर गहरा असर पड़ता है।…
इनडोर पौधे, वास्तु और स्वास्थ्य: कौनसे पौधे कहाँ लगाएँ?

इनडोर पौधे, वास्तु और स्वास्थ्य: कौनसे पौधे कहाँ लगाएँ?

1. इनडोर पौधों का प्राचीन भारतीय महत्वभारत की संस्कृति में पौधों का स्थान अत्यंत ऊँचा है। वेदों और शास्त्रों में पौधों को न केवल जीवनदाता माना गया है, बल्कि उन्हें…
मूलांक और विवाह योग: शुभ जीवनसाथी की खोज

मूलांक और विवाह योग: शुभ जीवनसाथी की खोज

मूलांक का परिचय और उसका महत्त्वभारतीय ज्योतिष शास्त्र में मूलांक, जिसे अंग्रेज़ी में Birth Number कहा जाता है, जीवन के कई पहलुओं को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता…
शुक्र दोष और वैवाहिक जीवन में समस्याएँ

शुक्र दोष और वैवाहिक जीवन में समस्याएँ

1. शुक्र ग्रह का ज्योतिषीय महत्वभारतीय ज्योतिष में शुक्र ग्रह को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। वेदों और पुराणों में भी शुक्र को प्रेम, सौंदर्य, कला, भौतिक सुख-सुविधा तथा विवाह…
कोविड-19 के पश्चात जीवन: ग्रहों की चाल से सामाजिक बदलाव की व्याख्या

कोविड-19 के पश्चात जीवन: ग्रहों की चाल से सामाजिक बदलाव की व्याख्या

1. परिचय: कोविड-19 और ज्योतिष का संबंधकोविड-19 महामारी ने समूचे विश्व को झकझोर दिया। इस अभूतपूर्व संकट के पश्चात हमारे सामाजिक जीवन, सोचने के तरीके और जीवनशैली में कई बड़े…