भाग्य वृद्धि के लिए नवग्रह यंत्र की पूजा और स्थापना विधि

भाग्य वृद्धि के लिए नवग्रह यंत्र की पूजा और स्थापना विधि

विषय सूची

1. नवग्रह यंत्र का महत्व और सांस्कृतिक संदर्भ

भारत में नवग्रह यंत्र को अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली माना जाता है। यह यंत्र ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु) के संतुलन तथा उनके शुभ-अशुभ प्रभावों को नियंत्रित करने हेतु स्थापित किया जाता है। भारतीय संस्कृति में ऐसा विश्वास है कि ग्रहों की दशा व्यक्ति के भाग्य, स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति पर गहरा असर डालती है।

ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह यंत्र की भूमिका

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह यंत्र का प्रयोग प्रमुख रूप से निम्नलिखित कारणों से किया जाता है:

ग्रह प्रभाव निवारण हेतु लाभ
सूर्य आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता कैरियर और सम्मान वृद्धि
चंद्र मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन तनाव व चिंता कम करना
मंगल ऊर्जा, साहस, संघर्ष शक्ति दुर्घटनाओं व विवादों से बचाव
बुध बुद्धि, संवाद क्षमता शिक्षा व व्यापार में सफलता
बृहस्पति धन, ज्ञान व धार्मिकता भाग्य वृद्धि व गुरु दोष निवारण
शुक्र सौंदर्य, प्रेम, भोग-विलास वैवाहिक जीवन में सुधार एवं ऐश्वर्य प्राप्ति
शनि कर्मफल, अनुशासन, दीर्घायु कष्टों एवं बाधाओं से रक्षा
राहु-केतु छाया ग्रह, अचानक परिवर्तन व भ्रम पैदा करना अचानक आपदाओं से बचाव व नकारात्मकता दूर करना

भाग्य वृद्धि एवं नकारात्मक प्रभाव हटाने में प्रासंगिकता

भारत में लोग यह मानते हैं कि यदि किसी की कुंडली में ग्रहों का दोष या अशुभ स्थिति होती है तो उसका सीधा प्रभाव उसकी दैनिक जिंदगी और सफलता पर पड़ता है। ऐसे में नवग्रह यंत्र की पूजा और स्थापना से ग्रहों के अशुभ असर को कम किया जा सकता है तथा भाग्य में वृद्धि संभव होती है। पारंपरिक हिंदू घरों और मंदिरों में नवग्रह यंत्र की स्थापना कर विशेष मंत्रोच्चार और विधिविधान से पूजा की जाती है ताकि सभी नौ ग्रहों की कृपा प्राप्त हो सके।
संक्षेप में:

विशेष महत्व आस्थागत संदर्भ
Nवग्रह के दोष दूर करना परिवारिक सुख-शांति हेतु अनिवार्य
Kर्म बाधाएं मिटाना रोज़गार/व्यापार में उन्नति के लिए
S्वास्थ्य एवं दीर्घायु देना Pूरा भारतीय समाज इसे शुभ मानता है

लोकप्रिय भारतीय संदर्भ और अनुभव:

  • Nवग्रह यंत्र को विवाह में अड़चनें दूर करने के लिए भी पूजा जाता है।
  • Bच्चों की शिक्षा या कैरियर संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु भी परिवारजन इसका उपयोग करते हैं।
  • Nवग्रह यंत्र की पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है एवं नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
नवग्रह यंत्र भारत की धार्मिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा बन चुका है तथा इसका महत्व हर वर्ग व क्षेत्र में स्वीकार किया जाता है। इसकी पूजा और स्थापना विधि का पालन कर व्यक्ति अपने जीवन को अधिक सौभाग्यशाली बना सकता है।

2. नवग्रह यंत्र की सही पहचान और चुनाव

शुद्ध और प्रामाणिक नवग्रह यंत्र का चयन कैसे करें?

भाग्य वृद्धि और ग्रहों के दोष निवारण के लिए नवग्रह यंत्र का शुद्ध और प्रामाणिक होना अत्यंत आवश्यक है। बाजार में कई प्रकार के यंत्र मिलते हैं, लेकिन सही यंत्र की पहचान करना जरूरी है।

नवग्रह यंत्र की पहचान के मुख्य बिंदु:

पहचान का तरीका विवरण
मूल मंत्र अंकित होना यंत्र पर सभी ग्रहों के बीज मंत्र स्पष्ट और सही तरीके से लिखे होने चाहिए।
सही आकृति यंत्र में नौ खंड या वर्ग बने होते हैं, प्रत्येक में संबंधित ग्रह का चिन्ह या नाम होता है।
प्रसिद्ध आचार्य या मंदिर द्वारा प्रमाणित यंत्र किसी अनुभवी आचार्य, मंदिर या प्रतिष्ठित स्थान से लिया गया हो।
निर्माण तिथि/मुहूर्त अच्छे मुहूर्त में निर्मित या सिद्ध किया गया यंत्र अधिक प्रभावशाली होता है।

किस धातु या सामग्री का यंत्र उपयुक्त है?

भारतीय ज्योतिषशास्त्र में नवग्रह यंत्र बनाने के लिए विभिन्न धातुओं और सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है। सही धातु चुनना भी बहुत जरूरी है:

धातु/सामग्री लाभ/उपयोगिता स्थानिक परंपरा अनुसार लोकप्रियता
तांबा (Copper) ऊर्जा संचरण में श्रेष्ठ, आमतौर पर पूजा घरों में प्रयुक्त उत्तर भारत, पश्चिम भारत
पंचधातु (Panchdhatu) पांच धातुओं का मिश्रण, दीर्घकालीन और विशेष रूप से शुभ माना जाता है पूरे भारत में लोकप्रिय, खासकर दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित
पीतल (Brass) सस्ती और सुलभ, घरेलू पूजा में उपयुक्त मध्य भारत एवं छोटे नगरों में अधिक चलन में
चांदी (Silver) विशेष अवसरों और महंगे अनुष्ठानों के लिए, शांति एवं समृद्धि हेतु श्रेष्ठ माना जाता है गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों में प्रिय
कागज/ताम्रपत्र पर छपा हुआ यंत्र अस्थायी प्रयोग अथवा यात्रा के दौरान इस्तेमाल किया जाता है कहीं भी आसानी से उपलब्ध, हर वर्ग के लोगों द्वारा अपनाया जाता है

स्थानीय बाजार या आचार्य से सलाह लेने की प्रक्रिया

1. स्थानीय बाजार का भ्रमण करें:
अपने क्षेत्र के धार्मिक दुकानों या पंडितजी से संपर्क करें। भरोसेमंद दुकानदार से ही शुद्ध यंत्र खरीदें।
2. आचार्य या विद्वान से सलाह लें:
आपके कुण्डली अनुसार कौन सा यंत्र उपयुक्त रहेगा, यह जानने के लिए अनुभवी आचार्य या ज्योतिषी से मार्गदर्शन लें।
3. ऑनलाइन विकल्प:
यदि आसपास विश्वसनीय दुकान नहीं मिले तो प्रसिद्ध भारतीय आध्यात्मिक वेबसाइट्स से प्रमाणित यंत्र मंगवा सकते हैं।
4. प्रमाण पत्र और बिल अवश्य लें:
खरीदारी करते समय दुकानदार से प्रमाण पत्र जरूर मांगें ताकि आपको असली और सिद्ध नवग्रह यंत्र ही मिले।
5. व्यक्तिगत अनुभव पूछें:
स्थानीय लोगों या परिवारजनों से उनकी राय जानें कि वे किस जगह से यंत्र खरीदते हैं। यह भी एक अच्छा तरीका होता है सही जगह चुनने का।

महत्वपूर्ण सुझाव:

  • यंत्र को कभी भी बिना सिद्ध किए स्थापित न करें।
  • खराब, टूटे-फूटे या जंग लगे हुए यंत्र न लें।
  • आचार्य द्वारा बताए गए नियमों का पालन करें।

पूजा एवं स्थापना की शुभ तिथि और आवश्यक सामग्री

3. पूजा एवं स्थापना की शुभ तिथि और आवश्यक सामग्री

स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का चयन

नवग्रह यंत्र की पूजा और स्थापना करते समय शुभ मुहूर्त का चयन करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह मान्यता है कि यदि यंत्र को शुभ तिथि और समय पर स्थापित किया जाए तो इसका प्रभाव अधिक सकारात्मक होता है। सामान्यत: नवग्रह यंत्र की स्थापना के लिए सोमवार, गुरुवार या शनिवार का दिन उत्तम माना जाता है। विशेष तौर पर स्थानीय पंचांग में दिए गए मुहूर्त को देखकर ही पूजा करें।

स्थानीय पंचांग का महत्व

भारत के विभिन्न राज्यों में पंचांग के अनुसार तिथि, वार, नक्षत्र और योग का अलग-अलग महत्व होता है। इसलिए, नवग्रह यंत्र स्थापना से पहले अपने क्षेत्र के पंडित या ज्योतिषाचार्य से उचित मुहूर्त जरूर पूछें। इससे पूजा का फल अधिक मिलता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

पूजा में उपयोग होने वाली आवश्यक सामग्री

सामग्री उपयोग
फूल (पुष्प) देवताओं को अर्पित करने के लिए
जल आचमन व अभिषेक के लिए
घी दीपक जलाने हेतु
दीपक प्रकाश एवं सकारात्मक ऊर्जा हेतु
धूप/अगरबत्ती शुद्ध वातावरण व सुगंध हेतु
कुमकुम, अक्षत (चावल), रोली तिलक व पूजन विधि के लिए
नवग्रह यंत्र (शुद्ध) मुख्य पूजन हेतु स्थापित करने के लिए
फल एवं मिठाई (प्रसाद) पूजा उपरांत प्रसाद वितरण हेतु

स्थानीय परंपरा का पालन करें

हर राज्य या समुदाय की अपनी-अपनी परंपराएं होती हैं, जैसे महाराष्ट्र में हल्दी-कुंकू, बंगाल में दुर्गा मंत्र, दक्षिण भारत में तुलसी पत्ते आदि का उपयोग होता है। अतः नवग्रह यंत्र की पूजा करते समय अपनी स्थानीय संस्कृति और पारंपरिक रीति-रिवाजों का जरूर ध्यान रखें। इससे पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है तथा परिवार में सकारात्मकता आती है।

4. नवग्रह यंत्र की पूजा की संपूर्ण विधि

पूजन के दौरान बोले जाने वाले मंत्र

नवग्रह यंत्र की पूजा करते समय विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिससे ग्रहों की कृपा प्राप्त होती है। हर ग्रह के लिए अलग-अलग बीज मंत्र होते हैं। नीचे तालिका में प्रमुख नवग्रहों के बीज मंत्र दिए गए हैं:

ग्रह बीज मंत्र
सूर्य ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः
चंद्र ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः
मंगल ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
बुध ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः
गुरु (बृहस्पति) ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः
शुक्र ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः
शनि ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
राहु ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः
केतु ॐ स्ट्रां स्त्रीं स्ट्रौं सः केतवे नमः

स्थानीय पंडित द्वारा किए जाने वाले संस्कार एवं तैयारी

नवग्रह यंत्र की स्थापना एवं पूजा आमतौर पर स्थानीय पंडित या पुरोहित द्वारा कराई जाती है। पंडित जी पूजा से पहले पंचांग देखकर शुभ मुहूर्त निकालते हैं। वे पूजा स्थल को शुद्ध करते हैं, कलश स्थापना करते हैं और यंत्र को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराते हैं। पंडित जी वैदिक रीति अनुसार सभी नवग्रहों का आह्वान करते हैं और पूजा सामग्री जैसे दीपक, फूल, अक्षत, धूप-अगरबत्ती आदि का उपयोग करते हैं।

चरणबद्ध पूजा-विधि (Step by Step Process)

  1. स्थान चयन एवं सफाई: घर या मंदिर में उत्तर-पूर्व दिशा में साफ स्थान चुनें। वहां रंगोली बनाएं या पीला कपड़ा बिछाएं।
  2. यंत्र की स्थापना: नवग्रह यंत्र को थाली में रखें और उस पर गंगाजल छिड़कें।
  3. कलश स्थापना: चांदी या तांबे के कलश में जल भरकर आम के पत्ते और नारियल रखें।
  4. दीप-धूप आरंभ: दीपक जलाएं, अगरबत्ती लगाएं और सभी ग्रहों के सामने दीप अर्पित करें।
  5. मंत्र उच्चारण: ऊपर दिए गए बीज मंत्रों का 11, 21 या 108 बार जाप करें।
  6. फूल व अक्षत अर्पण: हर ग्रह के नाम से पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
  7. प्रसाद चढ़ाना: घर में बने शुद्ध प्रसाद जैसे लड्डू, फल या मिठाई अर्पित करें।
  8. आरती व समापन: नवग्रहों की सामूहिक आरती करें और पूजा का समापन करें।

प्रसाद वितरण: एक सांस्कृतिक विशेषता

पूजा के बाद प्रसाद का वितरण समाज में आपसी सौहार्द बढ़ाने वाली परंपरा है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विविध प्रकार के प्रसाद बांटे जाते हैं, जैसे उत्तर भारत में बूंदी या लड्डू, दक्षिण भारत में पायसम या केसरी, पश्चिम भारत में मोदक आदि। यह प्रसाद सभी उपस्थित जनों को श्रद्धापूर्वक वितरित किया जाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा और शुभकामनाएँ प्राप्त होती हैं।

नवग्रह यंत्र पूजा में प्रयुक्त प्रमुख सामग्री सूची (तालिका)

सामग्री उपयोग/महत्त्व
नवग्रह यंत्र थाली सहित पूजा का मुख्य केंद्र बिंदु
कलश व नारियल स्थिरता व समृद्धि हेतु
पंचामृत / गंगाजल यंत्र शुद्धिकरण हेतु
दीपक, अगरबत्ती आस्था व प्रकाश हेतु
फूल व अक्षत अर्पण एवं सजावट हेतु
प्रसाद (लड्डू/फल) पूजा उपरांत वितरण हेतु

इस प्रकार नवग्रह यंत्र की पूजा भारतीय संस्कृति के अनुसार विधिपूर्वक संपन्न होती है, जिसमें मंत्रोच्चार, पारंपरिक सामग्री, स्थानीय रीति-रिवाज तथा सामूहिक सहभागिता का विशेष महत्व होता है। इस प्रक्रिया से भाग्य वृद्धि की कामना पूर्ण मानी जाती है।

5. पूजा के पश्चात देखभाल एवं आस्थागत निर्देश

स्थापना के उपरांत नवग्रह यंत्र की सुरक्षा और शुद्धता कैसे बनाए रखें?

नवग्रह यंत्र की स्थापना के बाद, उसकी देखभाल और नियमित शुद्धता बनाए रखना बहुत आवश्यक है। इससे न केवल यंत्र की शक्ति बढ़ती है, बल्कि आपके भाग्य में भी शुभ प्रभाव बना रहता है।

यंत्र को सुरक्षित रखने के उपाय

उपाय विवरण
स्थान का चयन यंत्र को घर के पूजा स्थान या स्वच्छ, शांत और ऊँचे स्थान पर रखें। कोशिश करें कि वह जगह हर रोज साफ रहे।
स्पर्श नियम यंत्र को हमेशा साफ हाथों से ही छुएं। किसी भी अपवित्र अवस्था में यंत्र को न छुएं।
प्राकृतिक सामग्री यंत्र के पास ताजे फूल, धूप, दीपक और गंगाजल या स्वच्छ जल रखें। इससे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

नियमित पूजा संबंधी सुझाव

  • हर रोज प्रातःकाल स्नान कर यंत्र के सामने दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  • नवग्रह मंत्रों का जाप करें – जैसे “ॐ सूर्याय नमः”, “ॐ चंद्राय नमः” आदि प्रत्येक ग्रह के लिए।
  • सप्ताह में एक बार विशेष रूप से गंगाजल या कच्चे दूध से यंत्र को धोकर साफ कपड़े से पोंछें।
  • स्थानीय रीति-रिवाज जैसे दक्षिण भारत में तुलसी पत्र, उत्तर भारत में रोली या अक्षत अर्पण करें।
  • त्योहार या ग्रह संबंधित विशेष दिनों पर परिवार के सभी सदस्य मिलकर सामूहिक रूप से पूजन करें।
स्थानीय भारतीय रीति-रिवाजों का पालन कैसे करें?

भारत के विभिन्न राज्यों में नवग्रह यंत्र पूजा की विधि थोड़ी अलग हो सकती है। उदाहरण स्वरूप:

क्षेत्र/राज्य विशेष रिवाज/उपयोगी वस्तु
उत्तर भारत रोली, अक्षत, लाल वस्त्र, चंदन का प्रयोग अधिक होता है।
दक्षिण भारत तुलसी पत्र, नारियल, केले के पत्ते और कुमकुम का उपयोग करते हैं।
पूर्वोत्तर भारत फूल-माला, धूपबत्ती एवं स्थानीय पारंपरिक चावल का प्रयोग करते हैं।
पश्चिम भारत (महाराष्ट्र/गुजरात) केसर, गुलाल व सुपारी चढ़ाई जाती है।

यंत्र की देखभाल और शुद्धता बनाए रखने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और नवग्रहों की कृपा बनी रहती है। साथ ही, धार्मिक आस्था भी मजबूत होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है। स्थानीय परंपरा अनुसार पूजा करने से श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं। अपने क्षेत्र के अनुभवी पुरोहित या परिवार के बुजुर्गों से सलाह अवश्य लें ताकि विधि पूरी तरह सही प्रकार से संपन्न हो सके।